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लेखनी प्रतियोगिता -28-Sep-2022


कभी कभी कोई घटना झकझोर देती है
कभी कभी कोई बात मन को तोड़ देती है।

कभी कभी पीड़ाएँ आंखों से रिसती हैं
इच्छायें मन की दो पाटों में पिसती हैं।

कभी रोक लेना आंसू मजबूरी होता है
कभी टूटकर रो लेना भी जरूरी होता है।

कभी राह में साथी साथ जब छोड़ देता है
जिजीविषा का पंछी उड़ना छोड़ देता है।

जो साथ निभाये वो ही सच्चा रिश्ता है
जो पोंछे आकर आंसू वही फरिश्ता है।

जो पथ के पत्थर पर आशाओं को घिसता है
फिर सबको राह दिखाये वही फरिश्ता है।

दैनिक प्रतियोगिता हेतु।



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8 Comments

Raziya bano

29-Sep-2022 08:23 PM

Nice

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बहुत ही सुंदर सृजन,, लाजवाब लाजवाब

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Gunjan Kamal

29-Sep-2022 08:21 AM

बहुत ही सुन्दर

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Anshumandwivedi426

29-Sep-2022 09:02 AM

आपकी कविता ज्यादा अच्छी है धन्यवाद

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